इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट को हैक करने के आरोप में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक 20 साल के नौजवान को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया है.
बताया गया है कि विपुल सैनी नाम के इस नौजवान की यूपी के सहारनपुर के नकुड़ क्षेत्र में कंप्यूटर की एक छोटी सी दुकान है. इसी दुकान से वह हजारों फर्जी वोटर कार्ड पिछले कई महीनों से बना रहा था.
इस मामले पर ट्वीट करते हुए जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के संरक्षक सह पूर्व सांसद पप्पू यादव ने कहा कि
‘चुनाव आयोग की वेबसाइट को हैक कर 10 हजार फर्जी मतदाता पहचान पत्र यूपी के सहारनपुर में बनाया गया लेकिन चिंतित न हो… चुनाव आयोग ने दावा किया है कि ईवीएम सुरक्षित है और चुनाव बिल्कुल निष्पक्ष हो रहे हैं.’
वहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया है. कांग्रेस ने कहा कि ये घटना किन लोगों के इशारे पर हुई है ? इस मामले की गंभीरतापूर्वक जांच होनी चाहिए.
वहीं समाजवादी पार्टी ने कहा कि फर्जी वोटर आईडी कार्ड बनाने जैसे मामले चुनाव आयोग की गिरती साख और असुरक्षित कार्यप्रणाली को दर्शाता है.
पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद बताया है कि विपुल सैनी इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर लॉग इन करता था. इस लॉग इन का इस्तेमाल सिर्फ चुनाव आयोग के अधिकारी करते हैं.
पुलिस द्वारा पूछताछ के क्रम में विपुल सैनी ने बताया कि इस गोरखधंधे में वो अकेले नहीं है. मध्य प्रदेश के हरदा जिले का रहने वाला अरमान मलिक भी उसका सहयोगी है.
विपुल सैनी ने कबूल किया है कि उसने पिछले तीन महीने के अंदर 10 हजार से ज्यादा फर्जी वोटर कार्ड बनाए है.
चुनाव आयोग को पिछले कई दिनों से अपने वेबसाइट की गतिविधियों के प्रति संदेह पैदा हो रहा था.
कई दिनों तक उन्होंने इसे तकनीकी गड़बड़ी समझ कर इग्नोर किया लेकिन बाद में शक गहराने लगा तो उन्होंने इस मामले की सूचना कई जांच एजेंसियों को दी.
जांच एजेंसियों ने खंगालना शुरु किया तो विपुल सैनी के फर्जीवाड़े का पता चला. जांच एजेंसियों ने विपुल का पता ठिकाना मालूम कर सहारनपुर पुलिस को इस बात की सूचना दी.
इसी बीच इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया ने अपने डेटा को सुरक्षित करने के उपायों पर काम करना शुरु कर दिया है. वहीं दिल्ली की जांच एजेंसियों ने कोर्ट से विपुल सैनी की को रिमांड पर लेने की अपील की है.