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1. Kali Chaudas 2025: आज है काली चौदस, जानिए दिवाली से पहले क्यों होती है मां काली की पूजा, महत्व, विधि और मंत्र
Kali Chaudas 2025: काली चौदस हर साल कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस साल आज यानी 19 अक्टूबर को है। यह पर्व दिवाली से ठीक एक दिन पहले आती है। मान्यता है कि यह यह पर्व नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा, भय का नाश, और शक्ति की साधना का प्रतीक है। इसे नरक चौदस, रूप चौदस और भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
काली चौदस उस रात मनाई जाती है जब यह माना जाता है कि नकारात्मक ऊर्जा चरम पर होती है। मां कालरात्रि, जो देवी दुर्गा का उग्र रूप हैं, की पूजा कर रक्षक शक्तियों को आमंत्रित किया जाता है। यह पूजा न केवल आत्मरक्षा के लिए होती है, बल्कि मानसिक शांति और ऊर्जा संतुलन के लिए भी की जाती है।
काली पूजा अक्सर अमावस्या की मध्यरात्रि में होती है, जबकि दिवाली की पूजा प्रदोष काल में होती है। इसी कारण से काली पूजा अधिकतर दिवाली से एक दिन पहले आती है। यह समय तांत्रिक दृष्टि से अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
कुछ साधक इस रात श्मशान भूमि में पूजा करते हैं, जहां वे रक्षक शक्तियों जैसे वीर वेताल का आह्वान करते हैं। यह परंपरा उग्र तांत्रिक साधना से जुड़ी है और आम श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक नहीं है।
हां, कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और दिन भर साधना करते हैं। यह व्रत बुरी शक्तियों से सुरक्षा, परिवार की खुशहाली, और भीतर की नकारात्मकता को खत्म करने के उद्देश्य से किया जाता है।