दिमाग खाने वाले कीड़े से सावधान, जानें कितना है घातक और कैसे करें बचाव? 5 पॉइंट में सबकुछ
दिमाग खाने वाले कीड़े से सावधान, जानें कितना है घातक और कैसे करें बचाव? 5 पॉइंट में सबकुछ
Brain Eating Amoeba: केरल में दिमाग खाने वाला कीड़ा अमीबा 19 लोगों की जान ले चुका है और लगातार फैल रहा है. संक्रमण से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ने के चलते सरकार हाई अलर्ट जारी कर चुकी है.

दिमाग खाने वाले कीड़े से सावधान, जानें कितना है घातक और कैसे करें बचाव? 5 पॉइंट में सबकुछ

Brain Eating Amoeba Kerala: केरल में एक दुर्लभ ‘दिमाग खाने वाले अमीबा’ फैलता जा रहा है. संक्रमण के चलते राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है, क्योंकि संक्रमण की चपेट में अब तक 70 से ज्यादा लोग आ चुके हैं और इनमें से 19 लोगों की की मौत हो चुकी है. अकेले सितंबर महीने में बीमारी से ग्रसित 9 लोगों ने जान गंवाई है. मरीजों में 3 महीने के नवजा से लेकर 90 साल तक के बुजुर्ग शामिल हैं. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने ‘अमीबा’ गंभीर चिंता बताया है और कहा है कि अमीबा संक्रमण अब कोझिकोड और मलप्पुरम के कुछ हिस्सों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में फैल रहा है.

केरल में बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए गठित सरकारी टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर अल्ताफ अली कहते हैं कि राज्य में अमीबा का प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) ट्राइप का संक्रमण फैला है. अगर अमीबा दिमाग तक पहुंच जाए तो यह लोगों की जान ले सकता है. अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, यह संक्रमण बेहद दुर्लभ, लेकिन सबसे घातक है. वर्ष 1962 से अब तक दुनियाभर में इस संक्रमण के करीब 500 मामले मिल चुके हैं, जिनमें से ज्यादातर अमेरिका, भारत, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया में मिले हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) बीमारी को लेकर अलर्ट दे चुका है.

यह एक प्रकार का दुर्लभ संक्रमण है, जो नेग्लेरिया फाउलेरी नामक सूक्ष्म जीव के कारण गर्म और मीठे पानी की झीलों, नदियों, तालाबों में पनपता है. यह एक दूसरे को छूने से नहीं फैलता, बल्कि संक्रमण से दूषित पानी के नाक में जाने से फैलता है. स्विमिंग पूल और क्लोरीनयुक्त घरेलू टैंकों में भी अमीबा पनप सकता है. अमीबा दिमाग के ऊतकों पर हमला करता है और दिमाग में सूजन पैदा करता है, जिस वजह से जान जा सकती है. तैराकों और गोताखोरों को इससे खतरा है. नहाने के दौरान भी संक्रमण फैल सकता है. अमीबा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. खोपड़ी की क्रिब्रीफॉर्म प्लेट को पार करके अमीबा दिमाग तक पहुंचता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अमीबा संक्रमण होने के बाद दिखने वाले लक्षण बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस जैसे होते हैं. इसके लक्षण संक्रमण होने के बाद 10 दिन के अंदर नजर आते हैं, जिसमें सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी शामिल हैं. जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, मरीजों का दिमाग सूज जाता है और गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे, मतिभ्रम, संतुलन की कमी हो सकती है. अंत में मरीज के कोमा में जाने का खतरा होता है या उसकी जान भी जान जा सकती है. जब तक लक्षण नजर आते हैं, तब तक इलाज करना मुश्किल हो जाता है. वैश्विक स्तर पर, अमीबा से मृत्यु दर लगभग 97 प्रतिशत है. केरल में इस साल अमीबा से मृत्यु दर लगभग 24 प्रतिशत है.

बता दें कि अमीबा संक्रमण का कोई इलाज नहीं है. केरल के डॉक्टर अमीबा संक्रमण से राहत पाने के लिए एम्फोटेरिसिन बी, रिफैम्पिन, मिल्टेफोसिन, एजिथ्रोमाइसिन, फ्लुकोनाजोल और डेक्सामेथासोन समेत कई दवाओं का इस्तेमाल करने सलाह दे रहे हैं. लेकिन सावधानियां बरतकर ही इस संक्रमण की चपेट में आने से बचा जा सकता है. लोगों को मीठे पानी वाली नदियों, तालाबों और झीलों में तैरने या नहाने से बचना चाहिए. तैरते समय नाक पर क्लिप लगाएं या सिर को पानी से ऊपर रखें. नाक या मुंह धोने के लिए केवल उबला हुआ और ठंडा किया हुआ जीवाणुरहित पानी इस्तेमाल करें. स्विमिंग पूल, कुएं और घरेलू टैंक का पानी साफ करते रहें और उसका क्लोरीनेशन जरूर किया जाए. खुले घावों को साधारण पानी या मिट्टी के संपर्क में आने से बचाएं. वाटरप्रूफ पट्टियों का ही इस्तेमाल करें.

Samir Aahir
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